
विश्वव्यापी कोरोना संकट के इस समय में, जब हम लोग एक दूसरे के साथ शारीरिक तौर पर नहीं मिल पा रहे एक कलीसिया के परिवार के रूप में। परंतु फिर भी आराधना में बने रहने के लिए कलीसिया ऑनलाइन सभाओं के द्वारा मिलते हैं और आराधना करते है पर हम ऑनलाइन प्रभु भोज नहीं करते। क्यों?
चलिए इस विषय पर पवित्र शास्त्र यानि की बाइबल से थोड़ा और गहराई से जानते हैं की ऑनलाइन प्रभु भोज लेना बाइबल के अनुसार क्यों नहीं है?
कलीसिया का शरीर के रूप में शारीरिक तौर पर मिलना, ना की केवल व्यक्तिगत आराधना करना: बाइबल में प्रेरितों की किताब 2:40-42, मैं हम देखते हैं कि कैसे एक कलीसिया के अनुष्ठान के रूप में शुरुआती कलीसिया (चर्च) प्रभु भोज ले रहे थे, ना कि व्यक्तिगत रूप से, पर साथ मिलकर एक जगह पर, जबकि उस समय मसीही लोगों को बहुत सताया जाता था। इसलिए हम संपूर्ण पवित्र शास्त्र(बाइबल) में देखते है की प्रभु भोज केवल कलीसिया की व्यक्तिगत उपस्थिति में लिया जाता रहा है। पौलुस 1 कुरिन्थियों 11 अध्याय में 5 बार “जब हम साथ में इकट्ठा हो” के वाक्य को दोहराते है जिसका मतलब है कि पौलुस साथ में एक स्थान पर इकट्ठा होने या मिलने की बात पर जोर दे रहे है। प्रभु भोज पूरी बाइबल कही भी निजी रूप में या अकेले लेने का विचार या लेते हुए नही दिया गया। वास्तव में, लूका 22:17, येशु मसीह कहते है, “ये लो और आपस में बांट लो” ये हमे इस बात की शिक्षा देता है की प्रभु भोज सभी विश्वासियो के लिए शारीरिक तौर पर आपस में आने और एक दूसरे के साथ बाटनकर लिए जाने के लिए है।
एक रोटी, एक कटोरा, और एक शरीर: 1 कुरिन्थियों 10:16-17, में पौलूस कहता है, की एक ही रोटी से खाने और एक ही कटोरे से पीने पर कलीसिया इस बात का चिन्ह देता है की हम एक ही शरीर है जो मसीही में साथ जोड़े गए है जिसका उल्लेख बाइबल में मती, मरकुस और लुका के सुसमाचार में भी किया गया है। प्रभु भोज के सामग्री या तत्वों को तय नहीं है परंतु जब तक एक कलीसिया साथ मिलकर आपस में एक समान तत्वों, दोनो कटोरे और रोटी(ब्रेड) को लेते है, फिर चाहें जूस और रोटी किसी भी प्रकार की हो।
यहां पर महत्वपूर्ण बात मसीही लोगों का मसीह के साथ एक होना और साथ ही मसीही लोग के बीच एकता का होना है। ना कि एक व्यक्ति, कि हम इसे व्यक्तिगत रूप से लें।
यह स्मरण/याद करने के लिया है: लूका 22:19, 1 कुर 11:25-26, कहता है की प्रभु भोज स्मरण और याद करने के लिए किया जाता है यह प्रभु की मृत्यु (क्रूस के काम) की घोषणा करता है जब तक वह दोबारा वापस नहीं आता। केवल मसीही लोग को प्रभु भोज में हिस्सा लेने की अनुमति हैं और अविश्वासी को इसमें हिस्सा लेने की अनुमति नहीं होती; उन्हें इसमें उपस्थित होने के लिए नहीं रुक जाता क्योंकि तभी भोज लेने के द्वारा मसीह लोग सुसमाचार की घोषणा करते हैं अन्य लोगों को। इसलिए ऑनलाइन या वर्चुअल रूप से प्रभु भोज लेने पर अगुये और पास्टर इसे सही रीति से संचालित करने में असमर्थ हो जाते हैं और इस बात का आश्वासन नहीं कर पाते कि इसे सिर्फ मसीही लोग ही न की अविश्वासी जो कि उस सभा में उपस्थित होते हैं।
प्रभु भोज प्रसाद नहीं: प्रसाद आशीष पाने के लिए लिया जाता है, यह आत्म-परिवर्तन और उस दिव्य के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने के लिए। दूसरी ओर प्रभु भोज यथार्थ या वास्तविक नही पर प्रतीकात्मक है जहां पर रोटी यीशु मसीह के शरीर को दर्शाती है और कटोरा यीशु मसीह के लहू को दर्शाता है। यह नई वाचा का प्रतीक है
अनुचित रीति से ना लें: 1 कूरि 11:27-28 बताता हैं की हर कोई अपने आप को जांचें और प्रीति से प्रभु भोज ना ले। इसका मतलब यह है कि यह गंभीरता पूर्वक आराधना है और इसे अनुशासन और गंभीरता से लेना चाहिए ना कि संयोग से और लापरवाही से। तीसरा वचन बताता है की क्योंकि अनुचित रीति से या गलत ढंग से सहयोग के कारण “इसी कारण तुम में बहुत से निर्बल और रोगी हैं, और बहुत से सो(मर) भी गए।”
जितनी बार आप मिलते हैं इसे करें: बाइबल हमें नहीं बताती कि हमें कितनी बार प्रभु भोज में हिस्सा लेना चाहिए ना ही यह बताती है कि किस समय या फिर स्थान पर करना है या नहीं करना चाहिए। इसके विपरीत, हम बाइबल में देखते हैं कि हमें प्रभु भोज मनाना है जितनी बार हम आपस में मिलते हैं।
अधिकारियों की आज्ञा मानना: रोमियो 12:1-2 हमें बताता है कि हमें अधिकारियों की आज्ञा को मानना है और उनके अधीन होना है हम जानते हैं कि यह अनिश्चित समय है जिसमें सरकार ने अस्थाई रूप से शारीरिक तौर पर कलीसियाओ को सभा करने या इखट्टा होने पर देश भर में सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए रोक दिया गाया है। ना की कलीसिया में शारीरिक रूप से मिलने के प्रतिबंध को थोप गाया या फिर स्थाई रूप से प्रतिबंध लगाया गया।
इसलिए हम एक कलीसिया रोमियो के 13 अध्याय में दिए गए वचन का पालन करते हुए अधिकारियों की आज्ञा मानते हैं ताकि हम वचन (बाइबल) के विरुद्ध ना जाए पर हमें यह भी याद रखना जरूरी है बाइबल हमें यह भी सिखाती हैं कि हमें परमेश्वर के लिए मानवियो अधिकारियो के अधीन होना है (1 पत 2:13)। इसका मतलब यह है कि अगर अधिकारी परमेश्वर के व्यवस्था के विरुद्ध है तो हमें परमेश्वर की सुननी है ना कि अधिकारी की (प्रेरितों के काम 4:19)
क्योंकि यह बात मुझे प्रभु से पहुँची, और मैं ने तुम्हें भी पहुँचा दी कि प्रभु यीशु ने जिस रात वह पकड़वाया गया, रोटी ली, और धन्यवाद करके तोड़ी और कहा, “यह मेरी देह है, जो तुम्हारे लिये है : मेरे स्मरण के लिये यही किया करो।” इसी रीति से उसने बियारी के पीछे कटोरा भी लिया और कहा, “यह कटोरा मेरे लहू में नई वाचा है : जब कभी पीओ, तो मेरे स्मरण के लिये यही किया करो।” क्योंकि जब कभी तुम यह रोटी खाते और इस कटोरे में से पीते हो, तो प्रभु की मृत्यु को जब तक वह न आए, प्रचार करते हो। इसलिये जो कोई अनुचित रीति से प्रभु की रोटी खाए या उसके कटोरे में से पीए, वह प्रभु की देह और लहू का अपराधी ठहरेगा। इसलिये मनुष्य अपने आप को जाँच ले और इसी रीति से इस रोटी में से खाए, और इस कटोरे में से पीए। क्योंकि जो खाते-पीते समय प्रभु की देह को न पहिचाने, वह इस खाने और पीने से अपने ऊपर दण्ड लाता है।
1 कुरिन्थियों 11:23-29
